Tuesday, April 7, 2009

जूते की आत्मकथा

वैसे तो मैं एक सामान्य जूता हूं, थोड़ा फटा, थोड़ा गंध में लतपथ लेकिन सच पूछो तो दुनिया के हर जूते की तरह मेरी भी सिर्फ एक छोटी सी ही तम्मना थी, जो महीनों की प्रार्थना और लम्बे इंतज़ार के बाद आज पूरी हुई है।


सड़कों की धूल तो खूब देख ली थी है मैने, लेकिन कई दिनों से मेरे अंदर भी कुछ खास, कुछ नायाब कर जाने का जूनून सवार था। ठीक उसी तरह जैसे बघदाद में मेरे जूते भाई ने किया था। वो जनाब खुद तो मशहूर हुए ही, साथ ही अपने मालिक पत्रकार मुंतज़ीर अल ज़ाएदी को भी दुनिया-भर के अखबारों की सुर्खियों में ड़ाल दिया। आखिरकार मेरे भाई ने काम ही कुछ नायाब किया था। ये रोज़ थोडे ही होता है कि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का चुंबन ले पाने में सफल हो।



उसी दिन से ही मै भी चाहता था कि मैं भी सुर्खियों में आऊं, हजारों लोग मेरी पूजा करें, जिधर मुह घुमाऊं लोग मेरी तारीफ करें... यानि की मेरा मालिक दुनिया भर के अरबों जूतों की तरह मुझे गुमनामी के अंधेरे गलियारों में अकेला ना निकाल फैंकें, वो मुझे हमेशा के लिए अमर बना दें।


अरसों बाद मेरी ये तम्मना आज पूरी हुई है। आखिरकार प्यारे जरनैल ने मुझे किसी ऐरे-गैरे इंसान का नही बलकि देश के गृहमंत्री पी चिंदबरम का चुंबन का मौका दिया।


दिन की शुरूआत को हर रोज़ की तरह ही हुई थी। हर सुबह की तरह आज भी जरनैल का भाग-दौड़ का सिलसिला ही चल रहा था। प्रेस कॉंफ्रेंस में वही बोरिंग सवाल जवाब का दौर चल रहा था। सच बोलूं तो मुझे तो हल्की हलकी नींद की खुमारी बी गई थी। कि अचानक, जरनैल ने आंव देखा ना तांव, मुझे उठा, हाथ में कोमलता से पकड़, मुझे हवां में उछाल दिया। अचानक आंख खुली तो देखा कि मेरे दीदार के लिए कोई और नही स्वयं गृहमंत्री थे।


गुरू क्या लम्हा था। मैने तो पूरी कोशिश की आज मै भी अपना बचपन का सपना पूरा कर लूं। मै भी चिदू का चुंबन ले लूं, लेकिन जरनैल ने सारा खेल बिगाड़ के रख दिया। इतना बुरा निशाना, छी!


खैर खुशी इस बात की है कि उस लम्हा मै भी हीरो बन गया। कमरे में मौजूद बाकि जूतों ने तो लम्बी आहें भरी, लेकिन मै वो खुशनसीब था जिसपर सबकी नजरें थीं। वाह, कभी सोचा ना था कि दिन-भर सब मेरी तारीफ करेंगे, फोटो खींचेंगे, गृहमंत्री को छोड़ मेरे ऊपर नजरें टिकाएंगें।


बिचारा जरनैल तो काम से गया। लेकिन मेरे खयाली पुलाव तो अभी पकना शुरु ही हुए थे। सोच रहा हूं कि क्या मुझे भी celebrity status मिलेगा? क्या मेरी भी नीलामी होगी.... कितना मज़ा आए अगर मुझे भी कोई सज्जन करोड़ों में खरीदे, अमेरिका से लेकर ब्रिटेन में मेरी चर्चा हो, मेरे भाई जूतों की बिक्री बढ़ जाए, मेरे लिए भी सुंदर जूतों के रिश्ते आने लगें .... वाह गुरू मेरा तो राज योग शुरू हो गया।



हालांकि, सोचता हूं कि क्या मेरा पॉलिश-दाता जरनैल मुझे वापस लेने आएगा?

दबे-दबे स्वर में कुछ नामुराद जूते ये भी कह रहे हैं कि जरनैल ने गलत किया। जलन के मारे वो फुसफुसा रहे हैं कि विरोध के प्रदर्शन के और भी जायज तरीकें होते हैं। लेकिन, मै कहता हूं मुझे चुंबन का हक देना बेशक गलत हो, लेकिन ये कहना कि कांग्रेस आंतकवाद पर लगाम कस पाएगी, ये तो इसे भी बड़ा झूठ है।


पहले दिल्ली, फिर मुंबई अब गुवाहाटी में ले धना-धन-धन आंतकवादी हमलें। अरे कुछ तो शरम करो। दिल्ली में प्रेस कॉंफ्रेंस करने के बजाय कुछ वास्तविक काम तो करो। तीन रुपए चावल के झूठे वादे और कसमों से आम जूतों को लुभाने के पैंतरों के बजाय देश को सुरक्षित करने के लिए कुछ तो करो। जागो... उठो।


लेकिन मुझे क्या.... मै तो मशहूर हो गया। बघदाद के जूते ने तो अपनी पापा कंपनी के भाग्य ही खोल दिये.. और कुछ नही तो मैने भारत के जूता समुदाय को तो मश्हूर कर दिया। हाँ ये ज़रूर है की मेरे जूते भाइयों को अब कुछ सहना पड़ सकता है कहीं ऐसा हो की मन्दिर, मस्जिद के बाद अब सभी प्रेस कांफ्रेंस में उनकी एंट्री बंद कज कज जाए ये बात अलग है कि जरनैल तो ये कर अब गुमनामी की अंधेरी गलियों में कहीं गूम हो जाएगा।

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