Tuesday, April 7, 2009

एक शराबी की सूक्तियां!


शराबी के लिए
रात आखरी रात होती है।

शराबी की सुबह
हर रोज एक नयी सुबह।



समकालीन कवियों में
सबसे अच्छा शराबी कौन है?
समकालीन शराबियों में
सबसे अच्छा कवि कौन है


शराबी अपनी प्रिय किताब के पीछे
छिपाता है शराब ।


शराबी पहचान लेता है
दूसरे शराबी को
जैसे एक भिखारी दूसरे को।


सिर्फ शराब पीने से
कोई शराबी नहीं हो जाता।


कौन सी शराब
शराबी कभी नही पूछता।


आजकल मिलते हैं
सजे-धजे शराबी
कम दिखाई पड़ते हैं सच्चे शराबी।


शराबी पैदाइशी होता है
उसे बनाया नहीं जा सकता।


यात्राएं टालता रहता है शराबी
पता नही वहां पर
कैसी शराब मिले
कैसे शराबी!


One of the most original posts i read in a blog. Please do go to http://krishnakalpit.blogspot.com/ to read the full prose.

A literary delight no one should miss!

2 comments:

  1. hahah... brilliant!
    looks like the author had good experience of what he wrote... it sounds so authentic :-D and judging from how quickly you took to it, u too moma!!! hehehe

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